शेयर बाजार में अपर और लोअर सर्किट: फायदे और नुकसान को जानें और समझें

बिजनेस

शेयरों में ऊपरी हिस्से की तरफ फेरबदल को कंट्रोल करने के लिए अपर सर्किट और निचले लेवल में ज्यादा फेरबदल से बचने के लिए लोअर सर्किट का इस्तेमाल किया जाता है। अपर सर्किट बाजार को कीमतों में अप्रत्याशित, तेज वृद्धि से बचाने में मदद करता है।

आप जानते हैं कि शेयर बाजार में लिस्टेड स्टॉक्स में ट्रेडिंग होती है। निवेशक इसमें पैसे लगाते हैं। निवेशकों को अचानक बड़े नुकसान या भारी लाभ से बचाने के लिए और बाजार की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज किसी खास स्टॉक या शेयर के लिए एक लिमिट तय कर देते हैं। शेयरों में ऊपरी हिस्से की तरफ फेरबदल को कंट्रोल करने के लिए अपर सर्किट और निचले लेवल में ज्यादा फेरबदल से बचने के लिए लोअर सर्किट का इस्तेमाल किया जाता है। कुल मिलाकर किसी शेयर में एक दिन में शेयर की कीमत में अत्यधिक बदलाव से बचने के लिए अपर सर्किट और लोअर सर्किट तय होता है।

क्या है अपर सर्किट

शेयर मार्केट में अपर सर्किट किसी भी कारोबारी दिन स्टॉक्स या सिक्योरिटीज द्वारा प्राप्त की जा सकने वाली अधिकतम कीमत का लेवल है। यह एक लिमिट है जिसे स्टॉक एक्सचेंज बहुत बड़ी कीमत वृद्धि को रोकने के लिए तय करता है। अगर किसी शेयर की कीमत ऐसी ऊपरी सीमा को छूती है, तो दिन के बाकी हिस्सों के लिए, कोई भी ट्रेडिंग इस लेवल को पार नहीं करती है, और उस विशेष शेयर पर ट्रेडिंग कुछ समय के लिए रोक दी जा सकती है। इस दौरान कोई भी उस शेयर को बाकी दिन तय लिमिट के ऊपर खरीद या बेच नहीं सकता। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, अपर सर्किट बाजार को कीमतों में अप्रत्याशित, तेज वृद्धि से बचाने में मदद करता है। ऐसी तेजी अटकलों, अफवाहों या आश्चर्यजनक खबरों के चलते देखने को मिल सकती है। ये सीमाएं स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा बाजार में स्थिरता और निष्पक्षता की रक्षा के लिए लगाई जाती हैं, इसलिए निवेशकों को अचानक मूल्य परिवर्तनों के कारण होने वाले अत्यधिक जोखिम से बचाया जाता है।

क्या है लोअर सर्किट

लोअर सर्किट वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर एक स्टॉक एक ही कारोबारी दिन में गिर सकता है। यह लिमिट स्टॉक एक्सचेंज द्वारा किसी भी स्टॉक की कीमतों में अत्यधिक गिरावट के बदले निर्धारित की जाती है। जब किसी स्टॉक की कीमत इस सीमा तक पहुंच जाती है, तो हो सकता है कि दिन के बाकी भाग में उसमें और गिरावट न आए, और उस स्टॉक में कुछ समय के लिए ट्रेडिंग रोकी जा सकती है। जैसे कोई स्टॉक 100 रुपये पर ट्रेड कर रहा है। स्टॉक एक्सचेंज द्वारा निर्धारित लोअर सर्किट सीमा 10% है। यानी उस दिन स्टॉक न्यूनतम 90 रुपये तक गिर सकता है। अगर स्टॉक की कीमत 90 रुपये पर पहुंच जाती है, तो यह लोअर सर्किट होगा। ट्रेडिंग रुक सकती है और कोई भी उस स्टॉक को बाकी दिन 90 रुपये से कम पर खरीद या बेच नहीं पाएगा। लोअर सर्किट बाजार को संभावित पैनिक सेलिंग, बुरी खबरों या बाजार की अफवाहों से बचाता है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी और अप्रत्याशित कीमत में गिरावट आ सकती है। लोअर सर्किट यह सुनिश्चित करेगा कि शेयर में गिरावट नियंत्रित तरीके से हो।

अपर सर्किट और लोअर सर्किट के नफा-नुकसान

आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, अगर फायदे की बात की जाए तो ट्रेडिंग रुकने से व्यवस्थित ट्रेडिंग की स्थिति बहाल होती है और निवेशकों में घबराहट की स्थिति नहीं होती। यह निवेशकों को खबरों को हजम करने और समझदारी से फैसले लेने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करता है। इससे निवेशकों को पूरा विश्वास है कि बाजार निवेश के लिए निष्पक्ष और विश्वसनीय है। जबकि इसके नुकसान की बात करें तो इससे वास्तविक मूल्य को लेकर झुंझलाहट हो सकती है। जब कीमतों पर लिमिट होती है तो स्टॉक में लिक्विडिटी बाधित हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अस्थिर बाजार में स्टॉक खरीदना या बेचना कठिन हो सकता है।