मरुधरा लोक कला और संगीत सेवा संस्थान की कार्यकारिणी ने भी ली कर्तव्य निष्ठा से कार्य करने की शपथ, आईजी विकास कुमार रहे मुख्य अतिथि,जेएनवीयू कुलपति डॉ के एल श्रीवास्तव ने की अध्यक्षता, पदम श्री और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अनवर खान और समाजसेवी चंद्रा बूब रही विशिष्ट अतिथि
जोधपुर। राजस्थानी लोक संगीत के संरक्षण और संवर्धन के लिए पिछले 18 वर्षों से समर्पित शास्त्रीय गायिका और संगीत विषय में गोल्ड मेडल प्राप्त प्रोफेसर डॉ स्वाति शर्मा के नेतृत्व वाली मरुधरा लोक कला और संगीत सेवा संस्थान की टीम के अलावा इसी संस्थान से जुड़ी 100 महिलाएं जोधपुर स्थापना दिवस पर कला के संरक्षण की शपथ ली।
मरुधरा लोक कला और संगीत सेवा संस्थान की सचिव सुलोचना गौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि, जोधपुर स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर होटल चंद्रा में आयोजित संस्थान की कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह के मुख्य अतिथि आईजी विकास कुमार रहे,जबकि जेएनवीयू कुलपति डॉ के एल श्रीवास्तव अध्यक्षता ने की, पदम श्री और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अनवर खान और समाजसेवी चंद्रा बूब विशिष्ट अतिथि के रूप मौजूद रहे।
राजस्थान की लोक कलाओं , संगीत और संस्कृति से लेकर विभिन्न प्रकार की लुप्त होती कलाओं के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ सामाजिक सरोकार निभाने के उद्देश्य से जोधपुर की 100 महिलाओं ने मिलकर संकल्प लेते हुए मरुधरा लोक कला एवं संगीत सेवा संस्थान का गठन करने के साथ कार्यकारिणी की घोषणा पिछले दिनों की थी। शपथ ग्रहण समारोह में डॉक्टर स्वाति शर्मा अध्यक्ष, सुरभि शर्मा उपाध्यक्ष,सुलोचना गौड सचिव और डिंपल गौड़ कोषाध्यक्ष के रूप में जबकि पूनम गौड़,रश्मि शर्मा, अलापी जायसवाल, अनिता टाक और स्वाति दीपक शर्मा ने कार्यकारिणी सदस्यों के रूप में शपथ ली।इसी तरह साधारण सदस्यों के रूप में सुनंदा जोशी,सुमन परिहार, देवयानी पंवार,अनुसूया गोस्वामी और जूही शर्मा ने शपथ ली।
समारोह को संबोधित करते हुए महानिरीक्षक विकास कुमार ने राजस्थान की लोक कला संस्कृति संगीत और विरासत के संरक्षण के लिए आगे आए मरुधरा लोक कला संगीत सेवा संस्थान की पूरी टीम की सराहना करते हुए कहा कि,कल के संरक्षण के लिए जिस रूप में 100 महिलाओं का यह संगठन आगे आया है,निश्चित रूप से यह मील का पत्थर साबित होगा इससे कला और कलाकारों दोनों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने इस संस्थान के उत्तरोत्तर प्रगति की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, नियमित रूप से संस्थान द्वारा कला के संरक्षण के लिए किए जाने वाले प्रयासों से निश्चित रूप से बेहतर परिणाम आएंगे और सामाजिक सरकार के क्षेत्र में भी बढ़-चढ़कर उपलब्धियां हासिल की जा सकेगी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के एल श्रीवास्तव ने कहा कि, राजस्थान की कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए वैसे तो हर स्तर पर प्रयास किए जाते रहे हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब मरुधरा लोक कला संगीत एवं सेवा संस्थान द्वारा 100 महिलाओं को एक साथ जोड़कर कला के संरक्षण की ओर एक बड़ा कदम उठाया गया है,विश्वास है आने वाले समय में इस संस्थान द्वारा जिस तरह के नवाचार और कार्य हाथ में लेकर किए जाएंगे वह सभी के लिए प्रेरणा के केंद्र बनेंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पद्मश्री अनवर खान ने राजस्थान के लोक संगीत और कलाकारों से लेकर अलग-अलग समय पर दिए गए योगदान का उल्लेख करने के साथ समय की जरूरत को ध्यान में रखते हुए कला और कलाकारों के संरक्षण के लिए मरुधरा लोक कला संगीत सेवा संस्थान की पहल की सराहना की। अनवर खान ने विश्वास बताया कि लुप्त होने वाली कलाओं के संरक्षण के साथ-साथ कला और कलाकारों के विकास के लिए यह संस्थान लीक से हटकर कुछ ऐसा करेगा जिससे कला और संस्कृति के संरक्षण क्षेत्र में नवाचार होंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कला मर्मज्ञ और समाजसेवी चंद्रा बूब ने संबोधित करते हुए कहा कि, पूरे देश और दुनिया में राजस्थान के कलाकारों ने हमेशा अपने संगीत और प्रस्तुति से पूरे प्रदेश को विशिष्ट पहचान दिलाई है, पुराने जमाने की कलाकारों की गायकी से लेकर उसके संरक्षण करने वाले कला प्रेमियों के साथ-साथ आम जन में आज भी उन कलाकारों की अमित छाप देखने को मिलती है, मरुधरा लोक कला संगीत सेवा संस्थान द्वारा सभी कलाकारों के संरक्षण के लिए जिस रूप में पहल की गई है निश्चित रूप से सराहनीय कदम है।
प्रारंभ में मरुधरा लोक कला और संगीत सेवा संस्थान की अध्यक्ष स्वाति शर्मा ने बताया कि, राजस्थान की लोक कलाओं और संस्कृति के साथ-साथ राजस्थान के संगीत और पर्यटन से लेकर विभिन्न महत्वपूर्ण आयोजनों में राजस्थान की लोक कला और संगीत , संस्कृति के जरिए यहां के कलाकार हमेशा अपना सर्वस्व योगदान करते रहे लेकिन उनके संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में राजस्थान में कोई भी ऐसा संस्थान नहीं है जो कला संस्कृति के संरक्षण के साथ इन कलाकारों को मंच देने , प्रोत्साहित करते हुए लुप्त कलाओं को भी संरक्षित करने का काम करें,लिहाजा 100 महिलाएं एक मंच पर आई और सभी ने एकजुट होकर एक ऐसे संस्थान के गठन की आवश्यकता पर जोर दिया जिसके चलते कला और संस्कृति के संरक्षण के साथ कलाकारों को आगे बढ़ाने के अलावा सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में भी कुछ ऐसे नवाचार किए जाए जिससे वास्तव में जरूरतमंदों तक सेवा का लाभ पहुंच सके। अंत में सचिव सुलोचना गौड द्वारा आभार अभिव्यक्ति के परंपरा निभाई गई।
कार्यक्रम में इंटरनेशनल ब्राह्मण फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष हस्तीमल सारस्वत,केयर्न इंडिया के सीएसआर के नेशनल हेड अयोध्या प्रसाद गोड ,जेएनवीयू के चित्रकला विभागाध्यक्ष प्रो रितु जौहरी और जेएनवीयू के भूगोल विभाग की सहायक आचार्य
डा अनामिका पूनिया मौजूद रही।