में हू जोधाणा जोकि बाद मे जोधपुर नाम पड़ा जानिए मेरी कहानी

जोधपुर राजस्थान

राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी और हमारे प्यारे जोधपुर शहर की स्थापना आज ही के दिन यानी 12 मई को वर्ष 1459 में हुई थी । जोधपुर के प्रसिद्ध मेहरानगढ़ किले की नींव रख इसे बसाने वाले व्यक्ति थे महाराजा राव जोधा । उन्हीं के नाम पर इसका नाम जोधपुर रखा गया। जोधपुर ऐतिहासिक रजवाड़े की राजधानी भी हुआ करता था। थार के रेगिस्तान के बीच में शानदार महलों, दुर्गों और अन्य पर्यटन स्थलों के लिए जोधपुर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

इसके अलावा जोधपुर की पहचान महलों और पुराने घरों में लगे छितर के पत्थरों से होती है।जोधपुर का खान पान पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है । जोधपुर को “शाकाहारियों की राजधानी” भी कहा जाता है। देश की सबसे बड़ी “देशी घी की मंडी” जोधपुर ही है । यंहा घर घर मे मिठाइयों से लेकर दाल व सब्जियां तक सभी देशी घी में ही बनाई जाती है । यंहा तक कि कुछ दुकानों पर नमकीन जैसे कचौरी , समोसा आदि भी देशी घी के बवे मिलते हैं । जोधपुर में घी बड़े ही शौक से खाया जाता है. जोधपुर अपनी मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन जोधपुर में बनने वाली मिठाइयों की सब्जी खाने लोग दुर-दुर से आते हैं। ये सुनने में जितना अजीब है लेकिन इसका स्वाद उतना ही लाजवाब है। जोधपुर में रसमलाई, चक्की और गुलाबजामुन की विशेष सब्जी बनाई जाती है और यह सब्जी जितने चाव से खाई जाती है उतने ही मनुहर करके खिलाई भी जाती है।

जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। पर्यटन पर शीर्ष पर होने के कारण फाइव स्टार होटल्स के शीर्ष ब्रांड यन्हा होटल चला रहे है ।राजस्थान का हाईकोर्ट जोधपुर में है और देश के सबसे पुराने एयरपोर्ट में से एक एयरपोर्ट भी यहीं पर स्थिति है। इसके अलावा दिल्ली के बाद एकमात्र शहर है जंहा सारे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान जैसे आईआईटी, एम्स, एनएलयू, निफ्ट आदि हैं। जोधपुर को सूर्य नगरी के नाम से भी जाना जाता है। जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग के चारों तरफ बने हजारों नीले मकानों के कारण जोधपुर को नीली नगरी भी कहा जाता है। जोधपुर की उत्कृष्ट हस्तकलाएं, लोक नृत्य, संगीत, पहनावा देखकर आपका मन खुश हो जाएगा।

जोधपुर के स्थापना दिवस की सभी को हार्दिक बधाई । शुभकामनाएं