श्याम भक्ति सेवा संस्थान ने गोचर भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के लिए शुरू किया जागरूकता और जनजागरण कार्यक्रम
जोधपुर। श्याम भक्ति और सामाजिक सरोकार के साथ-साथ गौ संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित किए गए जोधपुर के श्याम भक्ति सेवा संस्थान ने गोचर भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के लिए जागरूकता और जन जागरण अभियान का आगाज करते हुए देश और प्रदेश की संवैधानिक और राजनीतिक हस्तियों और जिम्मेदारों को पत्र भेजे हैं।
श्याम भक्ति सेवा संस्थान की अध्यक्ष मोनिका प्रजापत ने जानकारी देते हुए बताया कि,
राजस्थान प्रदेश में लगातार गोचर भूमि पर बढ़ते जा रहे अतिक्रमण से परेशान होती गायों की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखकर संस्थान की आवश्यक बैठक संस्थान के सचिव राजकुमार रामचंदानी, कोषाध्यक्ष जगदीश प्रजापत, कार्यकारिणी सदस्य लक्की गोयल, हेमंत लालवानी और कृष्णा गौड़ की मौजूदगी में आयोजित कर गोचर भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के लिए जागरुकता और जन जागरण अभियान चलाने का संकल्प लिया गया, इसी के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल हरी भाऊ बागड़े, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा, पूर्व राज्यसभा सदस्य महाराजा गज सिंह, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, गौपालन मंत्री जोराराम कुमावत, पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर एवम् पंचायत राज और ग्रामीण विकास, राज्य मंत्री ओटाराम देवासी को पत्र भेजने के साथ विस्तृत जानकारी भी दी गई है।
संस्थान की अध्यक्ष मोनिका प्रजापत ने बताया कि, फर्स्ट इंडिया न्यूज द्वारा राजस्थान प्रदेश की गोचर भूमि पर से अतिक्रमण हटाने की मुहिम को हाथ में लेकर संतों, जनप्रतिनिधियों, गोपालकों और गौ शाला संचालकों के साथ जब मंथन कर जागरूकता की शुरआत की गई तो, हमारी संस्था को भी प्रेरणा मिली और हमने इसे संकल्प के रूप में हाथ में लेकर जन जागरण अभियान शुरू किया है। वैसे भी हिंदू सनातन संस्कृति की प्रतीक गाय माता की सेवा के लिए शास्त्रों में विधान होने से लेकर गायों के प्रति सेवा के समर्पण भाव का संस्कार पीढ़ियों और परिवारों से मिलने के साथ हर कोई गायों के संरक्षण और संवर्धन में जुटा हुआ नजर आता है लेकिन कई वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में गायों के चरने के स्थान यानी गोचर की भूमि पर अतिक्रमण करने का सिलसिला लगातार जारी है, इस कारण गायों को या तो कचरे में मुंह मारना पड़ता है या फिर सड़कों पर विचरण करना पड़ता है और जो कुछ मिलता है उसे खाकर पेट भरना होता है। ऐसे में कई गायें दुर्घटना की शिकार होती है तो कई गाये प्लास्टिक इत्यादि खाकर दम तोड़ रही है।
इसके लिए भेजे गए पत्र में गायों के अपने हक की गोचर भूमि पर से राजस्थान प्रदेश में अतिक्रमण हटाए जाए और सभी जिला कलेक्टर्स को इस संबंध में आदेश देने के साथ गांवो के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को भी इस संबंध में जागरूक और पाबंद करने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने बताया कि, गोचर भूमि पर अतिक्रमण करने का जो लगातार सिलसिला चल रहा है उस पर अंकुश लगाने के लिए हमारे श्याम भक्ति सेवा संस्थान ने अंत तक जागरूकता अभियान चलाने का संकल्प लिया है।
श्याम भक्ति सेवा संस्थान ने महसूस किया है कि, लंबे समय से लगातार हो रहे अतिक्रमणों के कारण गोचर भूमि सिमटती जा रही है। एक ओर जहां लालची लोगों में गायों के लिए सुरक्षित रखी गई इस जमीन को कब्जाने की होड़ लगी है, वहीं दूसरी ओर गायों और पर्यावरण के प्रति प्रेम रखने वाले लोग इसे मुक्त करवाने की कवायद में जुटे हैं। इसके लिए वह अदालतों के दरवाजे खटखटाए जा रहे हैं। शासन-प्रशासन को ज्ञापन भेजे जा रहे हैं। गांधीवादी तरीके से धरने और प्रदर्शनों का सहारा लिया जा रहा है।जिस प्रकार की जानकारी मिली है, उसके अनुसार राजस्थान में 88,56,101 हेक्टेयर भूमि है, जो कुल उपलब्ध भूमि का 41.8 प्रतिशत है, इसमें से 9,11,233 हेक्टेयर स्थायी गोचर भूमि, 70,50,577 हेक्टेयर ऊसर भूमि (लवणीय) और 8,93,691 हेक्टेयर सीमांत भूमि है। प्रदेश के गांवों में गोचर भूमि सामुदायिक उपयोग के लिए है और पंचायतों के अधीन आती है। लिहाजा, उस पर किसी व्यक्ति विशेष का अधिपत्य नहीं हो सकता है। घास के मैदानों से अटी पड़ी यह जमीन पशुओं का पेट भरने के लिए है लेकिन दुखद है कि इस जमीन पर जगह-जगह अतिक्रमण कर लिए गए हैं। लोगों ने न केवल इस पर बस्तियां बसा ली हैं, बल्कि खेती भी कर रहे हैं। अत्यधिक अतिक्रमणों के बावजूद राज्य में लाखों हेक्टेयर गोचर भूमि अभी भी अपने मूल स्वरूप में पड़ी हुई है जिसे बचाने के प्रयास हो रहे हैं। जब भी कहीं कोई व्यक्ति गोचर भूमि पर अतिक्रमण करता है तो समुदाय के लोग प्रशासन के समक्ष गुहार लगाकर अतिक्रमण हटाने की मांग करते हैं। यदि प्रशासनिक स्तर पर उनकी सुनवाई नहीं होती तो अदालत की शरण ली जाती है क्योंकि समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में निर्णय देकर यह प्रतिपादित किया है कि चरागाह भूमि का उपयोग केवल उन्हीं उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिसकी अनुमति है।
मोनिका प्रजापत ने आगे बताया कि, श्याम भक्ति सेवा संस्थान को यह भी जानकारी मिली है कि, गोचर से न सिर्फ पशुओं को चारा मिलता है, बल्कि यह जमीन विभिन्न प्रकार के पेड़, पौधे, झाड़ियों, घास, जड़ी-बूटियां, औषधियां और खाना पकाने के लिए ईंधन भी मुहैया करवाती है। ज्यादातर जलस्रोत भी गोचर पर ही हैं। गोचर भूमि वन्यजीवों की कई प्रजातियों का प्राकृतिक आवास भी है। मरू प्रदेश के लिए चरागाह, गोचर भूमि बहुत जरूरी है। गोचर पर अतिक्रमण सिर्फ एक जमीन पर अतिक्रमण नहीं है बल्कि यह पशुओं के जीने के अधिकार का अतिक्रमण है। राजस्थान ऐसा प्रदेश है, जो बार-बार अकाल झेलता है और इसलिए पशुपालन यहां के निवासियों का मुख्य व्यवसाय है। पशुओं की अधिकता के कारण चारे की मांग इसके उत्पादन के मुकाबले अधिक रहती है। सेवण और धामन घास के रूप में चारे की आपूर्ति चरागाह व गोचर भूमि से ही होती रही है मगर चरागाहों के निरंतर घटते चले जाने से चारे का परंपरागत स्रोत सिकुड़ रहा है। आज तो गोचर पर अतिक्रमणों को केवल पशुओं के हितों के ही विपरीत देखा जा रहा है, लेकिन यदि गोचर भूमि को बचाया नहीं गया तो यह मानव जीवन के लिए कई तरह की मुश्किलों को न्यौता होगा। गोचर भूमि का खत्म होना पर्यावरणीय असंतुलन की वजह भी बनेगा।
हमने राजस्थान की सरकार से आग्रह किया है कि, राजस्थान प्रदेश में जहां-जहां भी गांवों में गोचर की भूमि है और उन पर अतिक्रमण होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे राजस्थान की गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया जाए और गायों के जीवन को बचाया जाए। हमारे श्याम भक्ति सेवा संस्थान के उद्देश्यों में गायों की रक्षा करना, गायों का संरक्षण करना, और गौ सम्मेलन आयोजित करना और गौशालाओं में सेवा के कार्य करना, ये हमारे संस्थान के उद्देश्यों में पहले से ही समाहित है।