विद्यालय में किया गया नया नवाचार
ज्योति सिन्हा रामदेवरा
पीएम श्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रामदेवरा के समस्त शिक्षक महिला शिक्षक भी अब विद्यालय में निर्धारित यूनिफॉर्म पहनकर ही स्कूल आएंगे।एक जुलाई से यह विद्यालय में नया नवाचार किया जा गया है.। जिसके तहत अध्यनरत छात्र-छात्राएं एक जैसी स्कूल गणवेश में विद्यालय पहुंच रहे हैं।सम्भवत प्रदेश का पहला विद्यालय है जो इस तरह का नया नवाचार कर रहा है।विद्यालय के प्रधानाचार्य उगम सिंह तवर सहित समस्त कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाएं अब प्रतिदिन निर्धारित व नियमित रूप से विद्यालय की यूनिफॉर्म पहनकर ही विद्यालय आ सकेंगे।
विद्यालय के अध्यनरत सभी शिक्षक व शिक्षिकाओं को इस नियम की पालन करना अनिवार्य है। नए सत्र के पहले दिन इसको लागू किया गया। जिसमें सभी शिक्षक व शिक्षिकाएं यूनिफॉर्म मे हि विद्यालय आए। वह उन्होंने क्लास रूम में जाकर बच्चों को यूनिफॉर्म में ही पढाने का कार्य भी किया। इस नवाचार को लेकर स्थानीय लोगों सहित ग्रामीणों में भी काफी जोश व उत्साह देखने को मिल रहा है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि सरकारी स्कूल होने के पश्चात भी यह नया नवाचार किया जा रहा है ताकि छात्रों को यह लगे कि हम जैसे स्कूल ड्रेस पहन कर आ रहे हैं वैसे विद्यालय के सभी शिक्षक भी स्कूल ड्रेस पहन कर आ रहे हैं। इससे दोनों के बीच आपसी माहौल तालमेल अच्छा बना रहेगा वह शिक्षा के प्रति छात्रों छात्रों का जुड़ाव पहले से अधिक होगा। आने वाले समय में और भी अनेक नवाचार विद्यालय में किए जाएंगे ताकि छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा अध्ययन करने में किसी तरह की कोई परेशानी वह असुविधा नही हो।
छात्रों व शिक्षक के बीच बना रहे दोस्ताना संबंध :- पूर्व में जहां छात्र स्कूल गणवेश पहनकर विद्यालय आते थे वहीं शिक्षक अपने मनमर्जी के अनुसार कुछ भी पहन कर आते थे।विद्यालय में शिक्षक उनको पढाते थे लेकिन विद्यालय प्रधानाचार्य उगम सिंह तवर ने शिक्षकों के साथ बैठकर आपसी सामंजस्य के साथ यह निर्णय लिया किया कि अब छात्रों की तरह समस्त शिक्षक भी स्कूल गणवेश पहनकर विद्यालय में आएंगे वह छात्रों को क्लासरूम में जाकर पढ़ाएंगे।
इस पर सभी शिक्षक व शिक्षकाओ की आपसी सहमति बनने के पश्चात एक निश्चित स्कूल यूनिफॉर्म तय की गई उसके पश्चात स्कूल खुलने पर सभी कार्यरत स्कूल शिक्षक शिक्षिकाएं गणवेश पहनकर विद्यालय पहुंचे वह उन्होंने अपने-अपने क्लासरूम में जाकर अध्यनरत छात्र-छात्राओं को पढाने का कार्य भी शुरू किया इससे गुरु व शिष्य के बीच आपसी दोस्ताना माहौल देखने को मिला।