आखिर कैसे पैदा होंगे हनुमान? आतंकियों से राजेंद्र मिर्धा को छुड़वाने वाले को 29 साल बाद भी नहीं मिला इनाम

जयपुर राजस्थान

Jaipur News : राजस्थान में आज 29 साल पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा के अपहरण कांड में आतंकियों के पकड़वाने में अहम भूमिका निभाने वाले दूध बेचने वाले हनुमान को आज तक उसका इनाम नहीं मिल पाया है. पढ़े पूरी कहानी.

जयपुर. राजस्थान के बहुचर्चित राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड का खुलासा करने में अहम भूमिका निभाने वाले हनुमान को अब भी इनाम का इंतजार है. आतंकियों के ठिकाने की पुलिस को पुख्ता सूचना देकर राजेंद्र मिर्धा को उनके चंगुल से आजाद कराने में हनुमान ने बड़ा किरदार निभाया था. इस पर तत्कालीन राज्य सरकार ने हनुमान को ढाई बीघा जमीन इनाम में देने का ऐलान किया था. लेकिन 29 साल बीते जाने के बाद आज भी हनुमान उस जमीन को पाने के लिए दर दर की ठोंकरें खा रहा है.

आपकी आपकी निगाहें चौकस हो तो आप बड़ी से बड़ी अनहोनी को टाल सकते हैं. किसी बेकसूर की जान बचा सकते हैं. इसकी बानगी है दूध बेचने वाला शख्स हनुमान. उसने 29 साल पहले जो सूझबूझ दिखाई उसकी आज भी चर्चा होती है. दरसअल 1995 में खालिस्तान समर्थक आंतकवादियों ने खालिस्तान लिब्रेशन फ्रंट के चीफ देवेन्द्रपाल सिंह भुल्लर को जेल से मुक्त कराने के लिए उस समय राजस्थान के दिग्गज कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का अपहरण कर लिया था.

दूध बेचते बेचते आतंकियों के ठिकाने का पता लगा लिया था
तत्कालीन भैंरोसिंह शेखावत सरकार के लिए राजेंद्र मिर्धा के अपहरण की गुत्थी सुलझा पाना गले की फांस बन चुका था. ऐसे में एक दूधवाला हनुमान वास्तव में ही ‘हनुमान’ बनकर आया. उसने दूध बेचते बेचते आतंकियों के उस ठिकाने का पता लगा लिया जहां पर राजेंद्र मिर्धा को आतंकियों ने बंधक बना रखा था. हनुमान की मुखबिरी पर पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया. पुलिस और आतंकियों के बीच हुई झड़प में एक आतंकी नवनीत सिंह कादियान मारा गया. पुलिस ने राजेंद्र मिर्धा को सकुशल आतंककारियों के चंगुल से मुक्त करा लिया. इस पर सरकार ने खुश होकर हनुमान को ढाई बीघा जमीन इनाम में देने का ऐलान किया था. लेकिन उसे वह जमीन आज तक भी नहीं मिली.

पहले उसके साथ पुलिस का पहरा रहता था
घटना के बाद कुछ साल तक तो हनुमान के आगे पीछे पुलिस का पहरा चलता था. हनुमान साइकिल से दूध लेकर इधर उधर जहां भी जाता पुलिस के गनमैन उसके आगे पीछे होते. लेकिन वक्त के साथ अब न पुलिस की सुरक्षा रही और न ही इनाम में दी गई ढाई बीघा जमीन के मिलने का रास्ता साफ हुआ. इनाम की जमीन के लिए हनुमान दर दर की ठोकरें खा रहा हैं. वह सरकार के एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक दस्तक देता फिर रहा है.

यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा बोले-सरकार वादा जरुर निभाएगी
हालांकि उसे 1998 में श्रीगोविंदपुरा गांव में ढाई बीघा जमीन आवंटित भी कर दी गई थी. लेकिन उसका पट्टा मिलता उससे पहले ही वह जमीन हाउसिंग बोर्ड की योजना की भेंट चढ़ गई. वहां करीब डेढ़ सौ गज जमीन बची पर उसका पट्टा उसे आज तक नहीं मिला. जेडीए को हाउसिंग बोर्ड की ओर से अवाप्त की गई हनुमान की जमीन के बदले पच्चीस फीसदी विकसित जमीन देनी थी वह भी आज तक नहीं मिली. अपनी जमीन हासिल करने के लिए हनुमान ने अब बीजेपी कार्यालय में इंसाफ की गुहार लगाई है. इसके साथ ही उसने जेडीए पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाएं हैं. जनसुनवाई में मौजूद बीजेपी पदाधिकारियों ने हनुमान को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है. वहीं यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा बोले हनुमान से किया गया वादा सरकार जरुर निभाएगी.

हनुमान पहले आंखों का तारा था अब किरकिरी बन चुका है
इस हाई प्रोफाइल केस में एक दिन वो था जब हनुमान सबकी आंखों का तारा था लेकिन अब वह जेडीए से लेकर सरकार के अधिकारियों की आंख की किरकिरी बना हुआ है. उसे बस आश्वासन मिलते हैं. एक जगह से दूसरी जगह पर जाने के. जमीन जल्द जमीन मिल जाने के. लेकिन अब उसकी हिम्मत जवाब देने लग गई है. आखिर जिस शख्स के साहस की बदौलत न केवल आतंकी पकड़े गये बल्कि राजेंद्र मिर्धा को सकुशल भी बचाया जा सका उसका इनाम उसे दर दर की ठोकरों के रूप में मिला.