SC: सुप्रीम कोर्ट से IREO ग्रुप और ओबेरॉय रियल्टी के एमडी को बड़ी राहत, आपराधिक कार्यवाही पर लगाई रोक

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ललित गोयल और विकास ओबेरॉय ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दोनों के खिलाफ अगले आदेश तक आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी। 

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सुप्रीम कोर्ट ने आईआरइओ ग्रुप (IREO Group) के मैनेजिंग डायरेक्टर ललित गोयल और ओबेरॉय रियल्टी लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर विकास ओबेरॉय को बड़ी राहत देते हुए धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है। जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाश पीठ ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। 

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
दरअसल ललित गोयल और विकास ओबेरॉय ने 6 जून के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दोनों के खिलाफ अगले आदेश तक आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी। पीठ ने आदेश देते हुए कहा ‘सवाल ये है कि क्या दूसरी शिकायत दर्ज कराना क्या प्रक्रिया का दुरुपयोग था और क्या शिकायतकर्ता ने गलत मंशा के साथ कोर्ट में याचिका दायर की, यह जांच करने की जरूरत है। तब तक एफआईआर से संबंधित आपराधिक कार्यवाही पर रोक रहेगी।’

क्या हैं दोनों पर आरोप
ललित गोयल और विकास ओबेरॉय के खिलाफ डीएलएफ फेज 2 पुलिस स्टेशन में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई थी। दोनों के खिलाफ एडवांस इंडिया प्रोजेक्ट लिमिटेड (AIPL) ने धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई। एफआईआर के मुताबिक आईआरइओ ग्रुप और ओबेरॉय रियल्टी पर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप है। साथ ही दोनों पर एआईपीएल के साथ भी धोखाधड़ी करने का आरोप है। शिकायत के अनुसार दोनों ने निवेशकों से जमीन देने के बदले 1,777 करोड़ रुपये लेकर उन्हें देश से बाहर भेज दिया था। इनमें से 1,376 करोड़ रुपये निवेशकों से बतौर एडवांस लिए गए थे। 

एआईपीएल का आरोप है कि आईआरइओ ग्रुप ने चंडीगढ़ के ग्रांड हयात रेजीडेंसी प्रोजेक्ट के नाम पर ही 70 निवेशकों से 400 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे। एआईपीइएल ग्रुप के साथ इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का समझौता किया गया था। एआईपीइएल ग्रुप को फर्जीवाड़े के चलते हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस मामले में आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया।