फ्लाइट दुबई की ओर उड़ने को तैयार थी, तभी रूस से आये मेल ने मचाई अफरातफरी

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नई दिल्‍ली. इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) जहां दुनियाभर से लाखों लोग रोजाना गुजरते हैं और उनकी सुरक्षा का जिम्‍मा भारतीय एजेंसियों पर रहता है. सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे तक सबकुछ ठीक चल रहा था और आईजीआई एयरपोर्ट से एक विमान दुबई जाने के लिए तैयार था. यात्री अपनी-अपनी सीट ले चुके थे और केबिन क्रू के सदस्‍य यात्रियों को विमान के जरूरी सुरक्षा निर्देश दे रहे थे.

तभी एयरपोर्ट पर तैनात सुरक्षा अधिकारियों को रूस से एक मेल आया और अचानक सुरक्षा कर्मियों के बीच अफरा-तफरी फैल गई. आनन-फानन में फ्लाइट के पायलट को निर्देश दिए जाने शुरू हो गए और दर्जनों की संख्‍या में सुरक्षाकर्मी विमान की ओर दौड़ पड़े.

एक वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आईजीआई एयरपोर्ट पर सुबह 9.35 बजे एक ईमेल आया जिसमें दुबई जाने वाली फ्लाइट में बम रखे जाने की बात लिखी थी. मेल पढ़ते ही सुरक्षा अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए और तत्‍काल फ्लाइट को खाली कराकर पूरी तरह चेक किया गया. करीब एक घंटे की मशक्‍कत के बाद पता चला कि विमान में कोई बम नहीं है और यह एक हॉक्‍स कॉल थी.

कई दिनों से परेशान है दिल्‍ली

हॉक्‍स कॉल की यह कोई पहली घटना नहीं थी, पिछले कुछ दिनों दिल्‍ली की सुरक्षा एजेंसियां इस तरह की कॉल से काफी परेशान हैं. बीते 12 जून को ही दिल्‍ली के दो म्‍यूजियम नेशनल म्‍यूजियम और रेल म्‍यूजियम के अलावा मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान इहबास और विमहांस में भी बम रखे जाने की सूचना ई-मेल के जरिये दी गई थी.

जांच में कुछ नहीं आया हाथ

सुरक्षा एजेंसियां किसी भी ई-मेल को हल्‍के में नहीं ले रही हैं और किसी भी तरह की सूचना मिलते ही उसकी पूरी जांच-पड़ताल की जा रही है. फोन कॉल पर या ई-मेल पर धमकियां मिलते ही बम स्‍क्‍वायड और डिस्‍पोजल टीम मौके पर पहुंचकर पूरी जांच करती है. हालांकि, अभी तक जितने भी मेल या फोन कॉल्‍स आए हैं, उनमें से कहीं भी बम या अन्‍य कोई संदिग्‍ध वस्‍तु नहीं मिली है. इससे पहले 30 अप्रैल को चाचा नेहरू हॉस्पिटल में बम रखे जाने की झूठी खबर आई थी तो 1 मई को दिल्‍ली के 150 स्‍कूलों में बम की अफवाह मिली थी.

रूस के सर्वस से आती है मेल

इन सभी हॉक्‍स मेल में एक चीज समान है कि सारी मेल रूस स्थित मेलिंग सर्विस कंपनी से आती है. इसके अलावा कुछ फर्जी ई-मेल साइप्रस स्थित मेलिंग सर्विस कंपनी से भी आई है. हालांकि, अभी तक किसी भी ई-मेल में कही गई बात सच साबित नहीं हुई और गृह मंत्रालय इन मेल्‍स की जांच करा रहा है.