कम पानी वाले क्षेत्र में इसबगोल की खेती किसान के लिए उपयोगी : प्रो. मेहरिया

ओसियां राजस्थान


ओसियां, श्रवण सिंवर
कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर एवं समन्वित परियोजना आणद, गुजरात के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एकदिवसीय आदान वितरण प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन निकटवर्ती पड़ासला गांव में किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक प्रो. मोतीलाल मेहरिया ने अनुसूचित जाति जनजाति कृषक कल्याण योजना और कृषक प्रोत्साहन योजना के तहत अनुसूचित जाति के किसानों को विशेष तौर से इस हेतु प्रोत्साहित किया गया कि वे ईसबगोल की खेती को प्राथमिकता देवे ताकि रोकड़ी फसल के रूप में अधिक लाभ कमाया जा सके। यह खेती कम पानी में की जा सकती है। इसबगोल का उपयोग औषधि उत्पाद के रूप में होता है जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग प्रचुर मात्रा में है। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ सैमुअल जेफरसन ने ईसबगोल की नई तकनीक पर प्रकाश डाला वहीं डॉ ललिता लाखवाण ने इसबगोल के पौधे को रोग उपचारित करने और इसकी प्रमुख कीटनाशकों की जानकारी दी। कार्यक्रम में अनुसूचित जाति के 40 चयनित किसानों को भंडारण हेतु टीन प्रदान किये और उनके उपयोग की जानकारी भी दी। प्रगतिशील किसान भोमाराम गोदारा, पूर्व सरपंच लिच्छू देवी, गुमना राम, चोलाराम मेघवाल बाबूराम सहित अनेक किसानों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। प्रो मेहरिया ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को भारत सरकार की किसान के हित में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से भी इस अवसर पर अवगत कराया।

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