पीएम मोदी सरकार ने जबसे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है तबसे कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं की बयानबाजी जारी है। कांग्रेस एक साल में 5 भारत रत्न देने की बात पचा नहीं पा रही है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत की और से भारत रत्न पुरस्कार को लेकर बड़े सवाल किए गए। लेकिन गहलोत की बात हवामहल से बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य को नहीं पची।
बालमुकुंद ने गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस भारत रत्न अपने ही प्रधानमंत्री को दिया करती थी। तब तो गहलोत ने कोई सवाल नहीं उठाया। लेकिन आज देश के विकास के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वालों को भारत रत्न दिया जा रहा है तो गहलोत को बड़ी तकलीफ हो रही है।बालमुकुंद आचार्य ने अशोक गहलोत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि गहलोत की तकलीफ इसलिए ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि पार्टी में उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। गहलोत की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे खुद को कौरव बताते हैं और भारतीय जनता पाटव को पांड्व कहते हैं। ऐसे में गहलोत आलोचना करें तो किसकी करें, शिकायत करें तो किसकी करें। यह मजबूरी है अशोक गहलोत की। इसलिए वो इस तरह के बयान दे रहे हैं।अशोक गहलोत ने अपने एक्स पर भारत रत्न को लेकर लिखा-‘भारत सरकार द्वारा पांच विभूतियों को भारत रत्न दिए जाने का स्वागत करते हैं। इन विभूतियों के लिए हमारे दिल में अथाह सम्मान है एवं देश के लिए इनका योगदान अतुलनीय है। हालांकि, ऐसा लगता है कि एक वर्ष में अधिकतम तीन भारत रत्न देने के नियम को तोड़कर आनन-फानन में भारत रत्न देखकर इस सम्मान का चुनावीकरण एवं राजनीतिकरण किया गया है एवं सम्मान की गरिमा कम की गई है। मुझे नहीं लगता कि इन निर्णयों से एनडीए को बहुत बड़ा लाभ मिल सकेगा।’