रील्स के शौक से बड़ा नुकसान: गर्दन, कंधे, पीठ दर्द और बदलते अंगुलियों के आकार का संकट

जयपुर राजस्थान

रील्स बनाने के साथ ही रील्स देखने के नशे ने युवाओं को नई-नई सोशल बीमारियों का शिकार बना लिया है। स्थिति ये है कि यह लत कम होने के बजाय लोगों में बढ़ती जा रही है।

जयपुर। रील्स बनाने के साथ ही रील्स देखने के नशे ने युवाओं को नई-नई सोशल बीमारियों का शिकार बना लिया है। स्थिति ये है कि यह लत कम होने के बजाय लोगों में बढ़ती जा रही है। जयपुर शहर के मनोचिकित्सकों के अनुसार रील्स बनाने के चक्कर में कई बार लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है।

इस तरह के मामलों के लिए दिमाग में स्थित रिवार्ड सर्किट जिम्मेदार है। इस तरह के मामले पहले के मुकाबले दो से तीन गुना बढ़ गए। वर्तमान में रोजाना ऐसे 15 से 20 मरीज आ रहे हैं।

बढ़ रहा क्रेज

मनोवैज्ञानिक डॉ. आलोक त्यागी ने बताया कि रील्स, यूट्यूब शॉटर्स के कारण लोग वास्तविक जीवन से दूर होकर वर्चुअल दुनिया में खोते जा रहे हैं, जिसके कारण वे अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। कई बच्चों में सोशलाइजेशन खत्म हो गया है।

वे दूसरे लोगों से बात करना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं। वो बस सोशल मीडिया स्क्रॉल कर रहे हैं। बच्चों में गेम्स का कम रील्स का क्रेज अधिक बढ़ गया है। जब व्यक्तियों को उनके पोस्ट पर लाइक, कमेंट मिलते हैं, तो यह दिमाग के रिवार्ड सेंटर जैसे कि न्यूक्लियस एक्बुबेंस में डोपामाइन रिलीज होता है, जिससे व्यक्ति को एक ही काम बार-बार करने का मन करता और धीरे-धीरे लत का शिकार होने लगता है।

गर्दन पर सिर का भार

फिजियोथेरेपिस्ट सेंटर में रोजाना 15 से 20 मरीज इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से जुड़े पहुंच रहे हैं। पेरेंट्स 10 से 12 वर्ष के बच्चों को थेरेपी के लिए ला रहे हैं। बच्चे लगातार 4 से 5 घंटे मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके हाथों में झनझनाहट होने लगती है और धीरे-धीरे अंगुलियों का आकार बदलने लगता है। 45 डिग्री तक झुके रहने से सिर का भार गर्दन पर पड़ता है। इससे गर्दन, कंधे व पीठ में दर्द होने लगता है। टीनोसेनोवाइटिस की समस्या में शारीरिक गतिविधियां कम होने से मांसपेशियों में दिक्कत होती है।
– डॉ. रजत भार्गव, फिजियोथेरेपिस्ट

अंगुलियों से शुरू दर्द पूरे हाथ में पहुंचा

त्रिवेणी नगर निवासी आस्था सिंह सातवीं कक्षा में पढ़ती है। लगातार 4 से 5 घंटे मोबाइल चलाने से उसकी अंगुलियों में दर्द बढ़ने लगा। धीरे-धीरे वो दर्द पूरे हाथ में होने लगा। डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कार्पल टनल सिंड्रोम हो गया है। इसके लिए उन्होंने दो महीने तक थेरेपी ली है।