सलाहकार फर्म ने कहा कि कुल लोन बाजार में 2024-2026 के बीच भारतीय रियल एस्टेट में 14,00,000 करोड़ रुपये (170 अरब डॉलर) के वित्तपोषण के अवसर की संभावना है।
देश के रियल एस्टेट मार्केट को लेकर लेटेस्ट डेटा में यह सामने आया है कि वर्ष 2018-23 के दौरान रियल एस्टेट सेक्टर में 9.63 लाख करोड़ रुपये के लोन स्वीकृत हुए थे। साथ ही यह अनुमान भी जताया गया है कि अगले तीन सालों में 14 लाख करोड़ रुपये के लोन फाइनेंस होने की संभावना है। एक रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई है। भाषा की खबर के मुताबिक, रियल एस्टेट कंसल्टेंट जेएलएल इंडिया और रियल एस्टेट डेटा विश्लेषक प्रॉपस्टैक की एक संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र में पिछले छह सालों में 9,63,441 करोड़ रुपये के लोन स्वीकृत हुए हैं। इस तरह औसतन 1,61,000 करोड़ रुपये के लोन हर साल स्वीकृत हुए।
मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु की अकेले 80% हिस्सेदारी
सलाहकार फर्म ने कहा कि कुल लोन बाजार में 2024-2026 के बीच भारतीय रियल एस्टेट में 14,00,000 करोड़ रुपये (170 अरब डॉलर) के वित्तपोषण के अवसर की संभावना है। देश के शीर्ष सात शहरों में स्वीकृत लोन के विश्लेषण के आधार पर पता चलता है कि मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु की पिछले छह वर्षों में स्वीकृत कुल कर्जों में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी रही।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान 2018 में आईएलएंडएफएस की वजह से पैदा हुए एनबीएफसी संकट और 2020 में कोविड महामारी के दुष्प्रभाव जैसी चुनौतियों ने ऋण बाजार में मंदी पैदा की थी। लेकिन 2021 के बाद से रियल एस्टेट बाजारों के पुनरुद्धार ने कर्जदाताओं और कर्जदारों दोनों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं।
रियल एस्टेट मार्केट की स्थिति बेहतर
देश भर में 1,22,553 रियल एस्टेट परियोजनाएं और 86,262 रियल एस्टेट एजेंट रजिस्टर्ड हैं। कुछ राज्य रेरा के कार्यान्वयन में दूसरों से बेहतर कर रहे हैं। अनुमान है कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वर्ष 2030 तक प्रॉपर्टी बाजार का आकार एक लाख करोड़ डॉलर तक होना चाहिए। रियल एस्टेट क्षेत्र देश का दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है। अनुमान है कि यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 15 प्रतिशत का योगदान देगा और वर्ष 2030 तक बाजार का आकार एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा।