जोधपुर। खेलकूद और मौज-मस्ती की उम्र में सांसारिक माया-मोह को त्यागकर तीन बेटियों ने वैराग्य पथ पर चलने के लिए घर दहलीज लांघी तो माता-पिता सहित सभी परिजन भावुक हो उठे। नम आंखों के साथ परिजनों ने बेटियों को विदाई दी। मंगलवार सुबह बेटियों को सफेद वस्त्र धारण करवाए गए। तीनों ने केश लोचन के बाद घर की दहलीज पार की। लाडप्यार से पाली अपनी बेटियों को इस साध्वी वेश में देखकर माता- पिता की आंखे छलक उठी। तीनों बेटियों के साथ एक मुमुक्ष ने भी दीक्षा ली।
जोधपुर शहर के चौरडिया भवन में दीक्षा का कार्यक्रम था। इस दौरान दीक्षार्थियों का नवीन नामकरण भी किया गया। भीलवाड़ा के कन्हैयालाल (68) अब कमल मुनि के नाम से जाने जाएंगे। जोधपुर की खुशी चौपड़ा को ईश्वरजी और रिद्धि बाफना को इंगिता नाम दिया गया। वहीं गंगापुर सिटी की नेहा जैन (27) का नाम रक्षिता रखा गया हैं।
मुमुक्षु भाईबहनों ने आचार्य परिवार हीरानंद महाराज सा, महेंद्र मुनि महाराज से कई संतों की उपस्थिति में जैन भगवती दीक्षा को ग्रहण किया। जैसे ही महाराज सा ने दीक्षा दी तो वहां उपस्थित लोगों ने भगवान महावीर और संतों के जयकारों से माहौल को गूंजायमान कर दिया। संयम पथ को स्वीकर कर चुकी बेटियां अब समाज में संस्कारों की शिक्षा का पाठ पढ़ाएंगी।
संतों की वाणी ने बदली जीवन की राह
पुरी भोपालगढ़ जोधुपर की रहने वाली 18 साल की रिद्धि बाफना के जीवन की राह संतों के विचारों से बदल गई। उनकी प्रेरणा से मन में संयम पथ पर जाने का विचार जागा। रिद्धि के चाचा ने बताया कि उसने दुनिया का सबसे बेहतरीन मार्ग चुना है। इसके लिए उसे बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं। चौपड़ा परिवार के लिए गर्व की बात है। वहीं भगवती दीक्षा लेने वाले 68 साल के कन्हैयालाल जैन के सांसारिक बेटे पुखराज चौधरी ने बताया उनके पिता पिछले 40 सालों से स्वाध्याय संघ से जुड़े हुए थे।
पढ़ाई छोड़कर चुना संन्यास पथ
जोधपुर की रहने वाली 19 साल की खुशी चोपड़ा ने भी भगवती दीक्षा ली हैं। खुशी ने जोधपुर के महावीर पब्लिक स्कूल से कॉमर्स स्ट्रीम से कक्षा 12वीं की पढ़ाई पूरी की है। इसमें उनके 94 प्रतिशत नंबर हैं। पढ़ाई छोड़कर नई राह चुनने के सवाल पर खुशी ने बताया कि हमारे भगवान महावीर स्वामी ने कहा है कि संयम की उम्र 9 वर्ष से शुरू हो जाती है, जबकि मेरी उम्र 19 साल है। इस हिसाब से मैं अभी दस साल लेट हूं।