एमपी सरकार का ऐतिहासिक निर्णय: शहीद के माता-पिता और पत्नी को 1 करोड़ की सहायता राशि में विभाजन

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कैप्टन अंशुमान सिंह सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात थे. 19 जुलाई 2023 को शॉर्ट सर्किट के कारण भारतीय सेना के गोला-बारूद में आग लग गई थी. फंसे लोगों को बचाते समय वो शहीद हो गए थे.

भोपाल:मध्यप्रदेश सरकार ने शहीद जवान को मिलने वाली अनुग्रह राशि को लेकर बड़ा फैसला किया है. राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की है कि राज्य पुलिस के किसी जवान के शहीद होने की स्थिति में दी जाने वाली एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि मृतक की पत्नी और माता-पिता के बीच बराबर-बराबर बांटी जाएगी. मुख्यमंत्री के हवाले से शुक्रवार को एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने निर्णय लिया है कि राज्य पुलिस के किसी जवान के शहीद होने की स्थिति में दी जाने वाली एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि उसकी पत्नी और माता-पिता के बीच 50:50 के अनुपात में बांटी जाएगी.’

यह निर्णय हाल में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता द्वारा दिवंगत अधिकारी की पत्नी के कथित तौर पर घर से चले जाने के बाद ‘नेक्स्ट ऑफ किन’ (एनओके) नियमों में संशोधन की मांग किये जाने पर उठे विवाद के मद्देनजर महत्वपूर्ण है.

क्‍या है NOK?

सेना के नियमों के अनुसार जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है तो उसके माता-पिता या अभिभावकों का नाम NOK में दर्ज किया जाता है. वहीं शादी होने पर  माता-पिता के बजाय उसके जीवनसाथी का नाम नॉमिनी के तौर पर लिखा दिया जाता है. अंशुमान सिंह के शहीद होने के बाद अनुग्रह राशि उनकी पत्नी को दी गई थी. अंशुमान सिंह के माता-पति ने आरोप लगाया है कि उनकी बहु ने उन्हें कुछ नहीं दिया और घर छोड़कर चलेगी.

बता दें कैप्टन अंशुमान सिंह सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात थे. 19 जुलाई 2023 को शॉर्ट सर्किट के कारण भारतीय सेना के गोला-बारूद में आग लग गई थी. फंसे लोगों को बचाते समय वो शहीद हो गए थे. शहीद होने से पहले उन्होंने चार से पांच व्यक्तियों को सफलतापूर्वक बचाया था.