रूस में भव्य मंदिर निर्माण: पीएम मोदी के दौरे से पहले हिन्दू समुदाय की मांग बढ़ी

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हिन्दू धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. हाल के वर्षों में यह रूस में भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. ऐसे में यहां मास्को में रहने वाले हिन्दू समुदाय के लोगों ने राजधानी में एक भव्य मंदिर की मांग तेज कर दी है. पीएम मोदी के रूस दौरे के दौरान यह मांग उठाने के लिए उन्होंने एक बैठक भी की.

मास्को. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने 8 तारीख को रूस के दौरे पर जाने वाले हैं. वह वहां राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत करेंगे. पीएम मोदी के इस दौरे को भारत-रूस संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है. हालांकि इस बीच वहां रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों ने एक नई मांग कर दी है और वह है मास्को में एक हिन्दू मंदिर…

दरअसल हिन्दू धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. भारत और नेपाल में हिन्दू आबादी बहुसंख्यक है. हालांकि हाल के वर्षों में यह रूस में भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. यहां बहुसंख्यक आबादी ईसाई होने के बावजूद रूस में कुछ जगहों पर छोटे मंदिर जरूर बनाए गए हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से सामुदायिक केंद्र की तरह ही काम करते हैं. ऐसे में अब राजधानी मॉस्को में मंदिर बनाने की मांग तेज़ होने लगी है.

इंडिया टुडे में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी के रूस दौरे से पहले वहां इंडियन बिजनेस अलायंस और इंडियन नेशनल कल्चरल सेंटर ने भव्य हिन्दू मंदिर बनाने को लेकर बैठक की. इस समूह के अध्यक्ष स्वामी कोटवानी कहते हैं, ‘मॉस्को में बनने वाला ये हिंदू मंदिर न केवल भारतीयों के लिए एकता और आकर्षण का केंद्र बनेगा, बल्कि भारत-रूस के बीच मजबूत संबंधों का प्रतीक भी बनेगा.’

इससे पहले पीएम मोदी ने इसी साल 14 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया था. बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान (BAPS) द्वारा बनाया गया यह मंदिर बेहद भव्य है. यह मंदिर भले ही हिंदू धर्म का है, मगर इसमें मुस्लिम, जैन और बौध धर्म के लोगों का भी बड़ा योगदान दिखा.

27 एकड़ जमीन में फैले इस हिंदू मंदिर के लिए यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाह्यान ने जमीन दान में दी थी. यह मंदिर दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल राहबा के पास 27 एकड़ क्षेत्र में बना है, जो करीब 700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. इस मंदिर के मुख्य आर्किटेक्ट ईसाई थे, जब इस प्रोजेक्ट के मैनेजर सिख समुदाय, डिजाइनर बौद्ध थे. इस मंदिर को बनाने वाली कंपनी पारसी की थी, जिसके डायरेक्टर जैन समुदाय से थे.