जोधपुर में भारतीय नाट्य शोध परिषद और एम.बी.एम. यूनिवर्सिटी की साझा मेजबानी में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन विख्यात नाट्यधर्मी, निर्देशक और इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना द्वारा किया गया।
अपने उद्बोधन में प्रसन्ना ने कहा कि रंगमंच एक जीवंत कला है जिसमे एक हद तक ही डिजिटल तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने डिजिटल भविष्य एवं कला के अंतर्संबंध पर भी अपने विचार रखे।
एम बी एम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ. विकास कपूर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं सभी अतिथियों का परिचय उपस्थित प्रतिभागियों से करवाया। प्रो. विभा शर्मा , सचिव, आई एस टी आर ने संस्था के उद्देश्य एवं भविष्य की योजना पर चर्चा की। दूर दराज के गाँव एवं कस्बो में भी रंगमच की शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए डीन प्रोफ़ेसर राजेश भदादा ने कला जगत में तकनीको के बढ़ते विकास क्रम और उसके प्रभाव पर विचार व्यक्त किये। भारतीय नाट्य शोध परिषद के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफ़ेसर रवि चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कलाकार की समाज के प्रति एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होना बताया।
अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह और राजस्थानी बांधनी भेंट कर किया गया. इस अवसर पर प्रोफ़ेसर अरविन्द वर्मा, प्रोफ़ेसर अखिल रंजन गर्ग, प्रोफ़ेसर अवधेश शर्मा, प्रोफ़ेसर एस.के. सिंह, प्रोफ़ेसर एम.सी. बरवड, सहायक प्रोफ़ेसर इमरती, पल्लवी आदि मौजूद रहे। संचालन प्रोफ़ेसर अर्चना बोहरा गुप्ता ने किया और सयुंक्त आयोजन सचिव प्रोफ़ेसर पियूष चौधरी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
एम.बी.एम. यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफ़ेसर अजय कुमार शर्मा ने अपनी शुभकामनायें प्रेषित करते हुए बताया कि यूनिवर्सिटी बनने के बाद ऐसे इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस की मेज़बानी और सफल आयोजन एम.बी.एम. यूनिवर्सिटी पहली बार कर रही है।
पहले दिन कला और तकनीकी के चौदह अलग अलग विषयों पर विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें मॉडरेटर प्रोफ़ेसर कौशल नाथ उपाध्याय और अध्यक्षता प्रोफ़ेसर विभा शर्मा, प्रोफ़ेसर विकास कपूर, प्रोफ़ेसर रवि चतुवेर्दी, डॉ. मोनिका ठक्कर ने की. और प्रमुख वक्ताओं में प्रोफ़ेसर विकास कपूर, अभिषेक गौड़, डॉ. अजीत सिंह, डॉ. अर्नब बनर्जी, डॉ. सैलू पट्टेपु, डॉ. नीलम साहू, डॉ. नेहा सिंह यादव, डॉ. शिवेंद्र विक्रम सिंह, सोहेल अहमद मलिक, डॉ. कुमार सरगम, डॉ. जयंत शेवटेकर, डॉ. उषा वैरागकर अठाले, डॉ. कपिल शर्मा, डॉ. संजय पाटिल ने अपने अपने पेपर पढ़े और विचार प्रकट किये. जिनपर देश दुनिया से आये हुए प्रतिभागियों, विद्वानो, शोध छात्रों, रंगकर्मियों, कलाकारों आदि ने गहन चर्चा की।
देर शाम फिल्म ‘बॉर्डर लैंड्स’ की स्क्रीनिंग करने के बाद इसके सम्पादक अनादि अठाले के साथ प्रतिभागियों द्वारा सवांद भी किया गया जिसके मॉडरेटर प्रोफ़ेसर नवनीत चौहान रहे।