उपवास के माध्यम से जीवन के कई जटिल व असाध्य रोगों से उबरने तथा पदयात्रा से आंतरिक जीवनी शक्ति व तपोबल बढ़ाने के लिए 1 से 7 दिसंबर तक केकड़ी से सांवलियाजी की 225 किमी की पैदल यात्रा का अनूठा आयोजन किया जा रहा है, जिसमें पदयात्री उपवास करते हुए केवल नींबू पानी व शहद के सहारे 7 दिन पैदल चलेंगे। खास बात यह है कि पदयात्रियों में अधिकांश 70 साल व इससे अधिक उम्र के बुजुर्ग शामिल है।
पदयात्राओं का आयोजन कोई नई बात नहीं है। मगर बिना ठोस आहार लिए उपवास करते हुए पैदल यात्रा करना सामान्य नहीं माना जा सकता और यदि उपवास के साथ की जाने वाली ऐसी पदयात्रा लगातार सात दिन तक की जाए, तो अचरज होना स्वाभाविक है। केकड़ी में संकल्प व इच्छाशक्ति से जुड़ा ऐसा अनूठा आयोजन दिसम्बर माह के पहले सप्ताह में होने जा रहा है।
जन जागृति उपवास पदयात्रा
स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्राकृतिक जीवन शैली व तौर तरीकों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर साइंटिफिक स्पिरिचुअलिज्म मेरठ के तप सेवा सुमिरन परिवार एवं केकड़ी के बढ़ते कदम संस्थान द्वारा केकड़ी से सांवलियाजी की जन जागृति उपवास पदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें पदयात्रियों द्वारा बिना कुछ खाये सात दिन में 225 किमी की दूरी तय की जाएगी। पदयात्रा का निर्देशन प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहे मेरठ के डॉ गोपाल शास्त्री करेंगे।
केवल नींबू-पानी व शहद का सेवन
पदयात्रा के संयोजक कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने बताया कि इस यात्रा में सुबह-शाम केवल नींबू-पानी व शहद के सहारे पदयात्रियों द्वारा सात दिन तक पैदल चलकर प्राचीन प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से स्वस्थ जीवन की अवधारणा को प्रतिष्ठापित किया जाएगा। इस यात्रा के दौरान पदयात्रियों द्वारा नींबू-पानी व शहद के अलावा आहार के नाम पर अन्य कुछ भी खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं किया जाएगा।
पदयात्रियों में अधिकांश बुजुर्ग
उन्होनें बताया कि यह पैदल यात्रा केकड़ी से 1 दिसंबर को शुरू होगी, जो कादेड़ा, बीड के बालाजी, शाहपुरा, मिन्डोलिया, महुआ कला, भीलवाड़ा, क्यारा के बालाजी पुर, नौगांवा, राशमी, कपासन व आली स्थित शनि महाराज मंदिर होती हुई 7 दिसंबर को चित्तौड़गढ़ जिले में मण्डफिया स्थित प्रसिद्ध धर्मस्थल सांवलियाजी मंदिर पहुंचकर पूर्ण होगी। इस यात्रा में करीब 225 किमी की दूरी तय की जाएगी। इस पैदल यात्रा में शामिल होने के लिए अभी तक 116 जनों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें खास बात यह है कि रजिस्ट्रेशन कराने वालों में अधिकांश की उम्र 70 वर्ष या इससे भी अधिक है। इस पदयात्रा में राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश के साधक भी शामिल होंगे।
प्रतिदिन 30-32 किमी चलेंगे पैदल
सभी पदयात्री पैदल चलकर प्रतिदिन औसतन लगभग 30-32 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। यात्रा के दौरान वे दिन में दो बार केवल नींबू-पानी व शहद ही सेवन करेंगे और यदि प्यास लगे तो केवल सादा पानी पियेंगे। पदयात्रा के समापन पर सांवलियाजी मंदिर में भगवान सांवलिया सेठ बांके बिहारी के दर्शन के बाद सभी साधक गरम सब्जी के सूप के साथ अपने व्रत-उपवास का पारणा करेंगे।
प्रतिवर्ष होती है ऐसी पदयात्रा
बताया गया कि तप सेवा सुमिरन परिवार द्वारा देश के अलग अलग क्षेत्रों में ऐसी पदयात्रा विगत डेढ़ दशक से प्रतिवर्ष निकाली जा रही है। कोविड के दौरान लोकडाउन के समय यह पदयात्रा बंद रही। लेकिन उस महामारी के समय को छोड़कर हर वर्ष यह पदयात्रा शरद ऋतु में दिसंबर माह में आयोजित की जाती है। गत वर्ष भी ब्रजमंडल में 84 कोस की उपवास पदयात्रा निकाली गई थी। इस बार इस पदयात्रा के आयोजन का अवसर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच के प्रयासों से केकड़ी को प्रदान किया गया है।
उपवास व आध्यात्म में अपार शक्ति
संयोजक कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने बताया कि प्राकृतिक जीवन शैली के वैज्ञानिक सिद्धांतों की प्रामाणिकता को उजागर करने के उद्देश्य से यह जन जागृति पदयात्रा हर साल अलग-अलग स्थानों पर आयोजित की जाती है, ताकि समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर कर, व्रत और आध्यात्मिक शक्ति को समझाया और दिखाया जा सकें। उन्होनें कहा कि उपवास और आध्यात्म के वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझकर, उनके प्रयोग से जीवन में रोग व चिंताएं दूर कर अखंड स्वास्थ्य, शक्ति, आनंद, ज्ञान, और प्रेम सहज ही प्राप्त किया जा सकता है।
ये है व्यवस्था में शामिल
इस पदयात्रा के आयोजन को लेकर केकड़ी के बढ़ते कदम संस्थान के दर्जनों कार्यकर्ता व्यवस्था में जुटे हुए हैं। पदयात्रा के मार्ग का सर्वे कर पदयात्रियों के ठहरने व रात्रि विश्राम के लिए समुचित बंदोबस्त किये जा रहे हैं। व्यवस्था कमेटी में बुद्धिप्रकाश दाधीच, आनन्द सोमानी, ओमप्रकाश शर्मा, महेंद्र प्रधान आदि शामिल है।