पुतिन-किम के साथ क्या चीन की टेंशन बढ़ाएगा: भविष्य में टेंशन बढ़ाएगा उत्तर कोरिया और रूस का साझा बंधन?

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हाल ही में उत्तर कोरिया के दौरे पर गए थे। इस दौरान उनका उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने भव्य स्वागत किया। दोनों एक साथ कार में बैठकर चलते दिखे। इस दौरान पुतिन ने किम को शानदार ऑरस लिमोजिन लग्जरी कार भी तोहफे में दी है।

बीजिंग: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीते हफ्ते उत्तर कोरिया का दौरा किया। इस दौरान पुतिन राजधानी प्योंगयांग में अपने मेजबान किम जोंग उन के साथ लग्जरी मर्सिडीज-बेंज पर सवार होकर सड़कों पर निकले। दोनों के बीच की दोस्ती की उनके विरोधियों में तो चर्चा है ही, दोनों ही नेताओं से अच्छे संबंध रखने वाले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भी इस नए गठबंधन पर नजर है।

पांच साल पहले शी जिनपिंग को भी किम के साथ इसी तरह की ओपन-टॉप सवारी की पेशकश की गई थी, जब वह 14 वर्ष बाद प्योंगयांग का दौरा करने वाले पहले चीनी नेता बने थे। उस समय दोनों नेताओं ने संबंधों को मजबूत करने और सहयोग को गहरा करने की कसम खाई थी लेकिन किम और पुतिन के बीच बनी नई साझेदारी के सामने वो फीकी पड़ती दिखी है।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और उत्तर कोरिया ने राजनीतिक, व्यापार, निवेश और सुरक्षा सहयोग से जुड़ी एक व्यापक संधि के साथ ही एक-दूसरे पर हमला होने की स्थिति में तत्काल सैन्य सहायता प्रदान करने का भी वचन दिया है। पुतिन ने इस दौरान कहा कि रूस और उत्तर कोरिया ने संबंधों को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। किम ने नए गठबंधन को द्विपक्षीय संबंधों में वाटरशेड मोमेंट कहा है।

दोनों के बीच इस ऐतिहासिक रक्षा समझौते ने अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को परेशान कर दिया है और उन्होंने इस पर चिंता भी जताई है। वहीं रूस और उत्तर कोरिया दोनों का मुख्य राजनीतिक और आर्थिक संरक्षक चीन ने चुप्पी साध रखी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसे रूस और उत्तर कोरिया के बीच द्विपक्षीय मामला बताते हुए टिप्पणी करने से इनकार किया है।

चीन चुप लेकिन उसकी दोनों पर नजर

विश्लेषकों का मानना है कि आधिकारिक चुप्पी के बावजूद चीन इस ओर से सावधानी बरत रहा है। चीनी राजनीति के जानकार प्रोफेसर लियू डोंगशु का कनहा है कि चीन का लक्ष्य स्थिति को नियंत्रित करना है। पुतिन और किम के बीच गहराते संबंधों से शी के लिए नई अनिश्चितता पैदा होने का खतरा है, जिन्हें पूर्वोत्तर एशिया में शांति और स्थिरता की जरूरत है क्योंकि वह कई घरेलू चुनौतियों, खासकर धीमी होती अर्थव्यवस्था से जूझ रहे हैं।

बीजिंग को चिंता है कि मॉस्को की प्योंगयांग को सैन्य प्रौद्योगिकी पर मदद किम शासन को और अधिक सक्षम और प्रोत्साहित करेगी। लियू का कहना है कि जब उत्तर कोरिया के मुद्दे की बात आती है, तो चीन का लक्ष्य स्थिति को नियंत्रित करना और तनाव को बढ़ने से रोकना है, लेकिन वह यह भी नहीं चाहता है कि उत्तर कोरिया पूरी तरह से ध्वस्त हो जाए। बीजिंग को डर है कि इससे अमेरिका को उसके क्षेत्र पर अपना नियंत्रण बढ़ाने की अनुमति मिल जाएगी।

लियू ने कहा, ‘अगर पुतिन कुछ तकनीकी सहायता सहित परमाणु मुद्दों पर उत्तर कोरिया को अधिक समर्थन देते हैं तो चीन के लिए कोरियाई प्रायद्वीप पर स्थिति को नियंत्रित करना अधिक कठिन हो जाएगा।’ मॉस्को और प्योंगयांग ने अपने गठबंधन को गहरा किया है तो बीजिंग इस पर सतर्क रहेगा। चीन इसे एक नई धुरी के हिस्से के रूप में नहीं देखना चाहता है।

पुतिन-किम की बातचीत में भी चीन का जिक्र!

यूनाइटेड किंगडम में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में राजनीति के व्याख्याता एडवर्ड हॉवेल कहना है कि चीन का भी निश्चित ही पुतिन और किम की बैठक के दौरान जिक्र हुआ होगा। हॉवेल ने कहा कि ऐसी किसी भी बैठक में चीन की चर्चा भी शामिल होगी। रूस को अच्छी तरह से पता होगा कि चीन उत्तर कोरिया से जुड़ी किसी भी महत्वपूर्ण वार्ता से बाहर नहीं रहना चाहता है, खासकर इसलिए क्योंकि रूस की तुलना में चीन उत्तर कोरिया से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

वाशिंगटन स्थित स्टिम्सन सेंटर थिंक टैंक में चीन कार्यक्रम के निदेशक यूं सन ने कहा कि चीन को नहीं लगता कि वह रूस और उत्तर कोरिया के बीच गहरे होते संबंधों की गति और सीमा को नियंत्रित कर सकता है लेकिन वह जानता है कि चीन रूस और उत्तर कोरिया दोनों के लिए एक अपूरणीय भूमिका निभाता है। चीन रूस और उत्तर कोरिया दोनों का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बना हुआ है।

बीजिंग दोनों अंतरराष्ट्रीय अछूतों को महत्वपूर्ण राजनीतिक समर्थन और राजनयिक संरक्षण भी देता है। हांगकांग की सिटी यूनिवर्सिटी के लियू का मानना है कि चीन को नहीं लगता कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच गठबंधन विश्वासघात होगा। दोनों देशों में से किसी में भी चीन को धोखा देने की क्षमता नहीं है। गठबंधन के बावजूद उन्हें अभी भी चीन पर भरोसा करने की जरूरत है।