राजस्थान में 7 सीटों पर हुए उप चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस 6 सीटों पर हार गई. कांग्रेस ने 7 सीटों में से केवल एक दौसा विधानसभा सीट ही जीत पाई. और तीन सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई तो वहीं चार सीटों पर तीसरे स्थान रही. जिसको लेकर अब कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व मंथन शुरू कर दिया है.
परिवारवाद और कार्यकर्ताओं की अनदेखी रहा हार का बड़ा कारण
सांसदों की सिफारिश, परिवारवाद और स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी कांग्रेस को इस बड़ी हार के तौर पर चुकानी पड़ी है. कांग्रेस के थिंक टैंक की निष्क्रियता के चलते कांग्रेस से नाराज नेताओं को मनाने की कोई गंभीर कोशिश नहीं हुई. इन चार सीट के अलावा कांग्रेस ने खींवसर सीट पर केवल हनुमान बेनीवाल को हराने के लिए आख़िरी समय भाजपा छुड़वाकर सवाई सिंह की पत्नी डॉ रतन को टिकट दिया गया. इस सीट पर कांग्रेस का क्या हाल हुआ है सबके सामने है. कांग्रेस को चौरासी और सलूम्बर सीट से कोई उम्मीद ही नहीं लिहाजा परिणाम पर किसी को कोई हैरानी नहीं है.
कांग्रेस को निष्क्रिय नेताओ से पीछा छ़ड़ान होगा
11 महीने पहले राजस्थान में सत्ता रही कांग्रेस और पांच महीने पहले लोकसभा की आठ सीट जीतने वाली कांग्रेस की इस हार से कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है. ऐसे में गया है अगले साल निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ करवाने की तैयारी में भाजपा सरकार के सामने बेहतर प्रदर्शन करना है तो राजस्थान कांग्रेस को फुल टाइम प्रभारी की जरूरत के साथ निष्क्रिय नेताओं से भी पीछा छुड़ाना होगा.